Ashwin गये; अब Jadeja का नंबर; टीम में विद्रोह!




टीम इंडिया में विद्रोह की ज्वाला धधकाने लगी है। रविचंद्रन अश्विन के जाने से कई दबी हुई बातें उजागर होने लगी हैं। कुछ दिनों से इस बात के संकेत थे कि टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम का माहोल ठीक नहीं है। अगर ऐसा ना होता तो टीम इंडिया न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 3-0 से अपने ही घर में नहीं हारती। ऐसा इण्डियन क्रिकेट के इतिहास में एक्का दुक्का बार ही हुआ है। और इस ख़राब वातावरण का कारण कोच गौतम गंभीर बताये जा रहे हैं। गंभीर की आदत है कि वो हर किसी पर हुक्म चलाते हैं। उनका व्यवहार ऐसा होता है जैसे किसी ने उनसे पहले क्रिकेट खेली ही नहीं है। जितनी क्रिकेट वो जानते हैं उतनी क्रिकेट किसी और को नहीं मालूम है। यानी रोहित शर्मा हों या विराट कोहली उनके आगे कुछ नहीं हैं। महेंद्र सिंह धोनी की भी वो आते जाते आलोचना करते रहते थे। टीम इंडिया के कोच बनने के बाद उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया । डिक्टेटर की तरह व्यवहार करने लगे। अश्विन ने 13 साल जो इण्डियन क्रिकेट की सेवा की है उतनी सेवा किसी और ने शायद ही की हो। ऐसे अश्विन से ऊपर उन्होंने एक और ऑफ-स्पिनर को टीम में रखा। ये थे वाशिंगटन सुंदर। जब ऑस्ट्रेलिया दौरे की बात आयी तो अश्विन ने चयनकर्ताओं को साफ़ कह दिया था कि मुझे अगर ले जा रहे हो तो खिलाना। सिर्फ़ नेट्स में बोलिंग करने के लिए नहीं रखना। पर दौरे की शुरुआत में ही ये साफ़ हो गया कि अश्विन की जगह गंभीर की टीम में नहीं है। पहले टेस्ट में वाशिंगटन सुंदर को उनसे ऊपर खिलाया गया। और एडिलेड में खिलाने के बाद फिर उन्हें ब्रिसबेन में बैठा दिया गया।  ऐसे में अश्विन ने टीम मैनेजमेंट से साफ़ पूछा। मुझे आगे के दो टेस्ट में खिलाओगे या नहीं। मेलबर्न और सिडनी टेस्ट में मेरी जगह बन रही है कि नहीं। गंभीर की तरफ़ से कोई सही जवाब नहीं आया। ऐसे में ब्रिसबेन टेस्ट के बीच में ही अश्विन ने टीम इंडिया से अलविदा करने का प्लान बना लिया। अब खबरें आ रही हैं कि टीम के बड़े खिलाड़ी गंभीर से कुछ बात साफ़ पूछ लेना चाहते हैं। अगली गाज अब रवींद्र जडेजा पर गिरने वाली है। पहले दो टेस्ट मैचों में उन्हें खिलाया नहीं गया। फिर तीसरे टेस्ट में जब उन्हें खिलाया गया तो अगर उन्होंने भारत की पारी में 77 बेशक़ीमती रन ना बनाये होते तो उनकी छुट्टी हो गई होती। फिर भी साफ़ है कि जडेजा के भी दिन अब कुछ गिनती के ही हैं। इस समय गंभीर की आँखों पे वाशिंगटन सुंदर का चश्मा चढ़ा हुआ है। इंग्लैंड का दौरा अगली मई में हैं। पाँच टेस्ट होने हैं। ऐसे में अश्विन ने साफ़ पूछा कि अगर यहीं हाल इंग्लैंड में मेरा करोगे तो में खेलूँ ही क्यों। जडेजा के मन में भी यहीं सवाल है: क्या टीम इंडिया को मेरी ज़रूरत है। उधर सुबुकी रोहित शर्मा और विराट कोहली के दिमाग़ में भी चल रही हैं। दोनों का टेस्ट मैच का रिकॉर्ड इस साल ख़राब रहा है। रोहित ने इस साल 13 टेस्ट मैचों में 607 रन बनाये हैं। औसत सिर्फ़ 26 का है। दो सैकड़े ज़रूर मारे हैं। उधर विराट कोहली ने 2024 में 9 टेस्ट मैच खेले हैं। उन्होंने मात्र 376 रन बनाये हैं और उनका औसत 25 का है। शतक सिर्फ़ एक लगा है। रोहित और विराट दोनों ने T20 क्रिकेट से संन्यास ले लिया है । ऐसे में माना जा रहा है कि शायद अगली गर्मियों में इंग्लैंड के दौरे से पहला उनका भी थैंक यू हो जाये। यानी पहले अश्विन गये और अब जडेजा, कोहली और रोहित की बारी है। गंभीर ऐसी टीम चाहते है जो नयी हो और जिसे वो कंट्रोल कर सकें। ऐसे में ड्रेसिंग रूम में वो वातावरण ही नहीं है जिसमें खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन दिखा सकें। देखते देखते कुछ महीनों में टीम इंडिया बिखर सी गई है।